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हिंदी मुहावरे और लोकोक्तियां
जमीन पर पैर न रखना – अहंकार होना
काजल की कोठरी होना- कलंक लगने का स्थान
गूंगे का गुड़ होना- अनुभव को व्यव्क्त न कर पाना
बालू से तेल निकालना – असंभव को सम्भव कर दिखाना
उतर गई लोई क्या करेगा कोई – इज्जत जाने पर गम कैसा
रंग सियार- कपटी / धोखेबाज
मिटटी का माथो- मुर्ख/बुद्धू
सब धान बाईस पसेरी- एक सामान समझकर व्यवहार करना
पौ बारह होना- खूब लाभ होना
गूलर का पेट फूलना – औकात से ज्यादा बात करना
मिटटी पलित करना- दुर्दशा करना
सूत न कपास जुलाहे में लट्ठम लट्ठा- अकारण झगड़ा
नंगे बड़े परमेश्वर से – निर्लज से सब डरते हैं
उलटे बॉस बरेली को- विपरीत काम
चिकना घड़ा- निर्लज होना
हसुए के ब्याह में खुरपे का गीत- असंगत बातें करना
तबेली की बला बंदर के सिर- किसी का अपराध दुसरे के सिर
अरहर की टट्टी गुजरती ताला- अनमेल साधन जुटाना
अंगद का पैर होना- अतीव दृढ़ होना
अंगूठा चूमना- चापलूसी करना
कड़ी सा उबाल- मामूली जोश
औघर की झोली – कई करामती वस्तुओ का संग्रह
खून सफेद होना- दया मोह न रहना
खेत रहना – युद्ध में मारा जाना
गड़े मुर्दे उखाड़ना- पुरानी बातो पर प्रकाश डालना
आंख के अंधे का नाम नयन सुख- गुणों के विरुद्ध नाम होना
सब्जबाग दिखाना- प्रलोभन देना
ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती – बड़े काम के लिए बड़ा प्रयत्न करना पड़ता है .
थोथा चना बाजे घना – जिसको कम ज्ञान होता है वो दिखावा करने के लिए अधिक बोलता है
मूर्ख के आगे रोए अपने नैन खोए. – मूर्ख के आगे रोए अपने नैन खोए.
दान की बछिया के दांत नहीं देखे जाते.- दान में मिली चीजों में कमी नहीं निकालनी चाहिए .
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